Champa rautela

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लेखनी कहानी -12-May-2022

समझने को लिखना चाहती हैं,

कलम एक बार फिर कागज से मिलना चाहती हैं,
अंतर बस दिन और रात का हैं,
रूह तो आज भी आशीर्वाद बिखेरना चाहती है,

दिन ,सप्ताह और वर्ष जाने कैसे बीत गए,
जहां से मुड़े ,
वही आकर टकरा गए,


होती हैं जाने कितने पन्नो की प्रथा,
जिंदगी तो बस खुलकर हर पन्ना भरना चाहती है,

मंजिल की मोड़ से हैं लाखो दूरी,
पर उस मोड़ को आज भी मंजिल का इंतजार हैं,,

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9 Comments

Anam ansari

14-May-2022 09:36 AM

Nice

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Shnaya

13-May-2022 09:59 PM

Very nice 👍🏼

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Haaya meer

13-May-2022 09:47 PM

Amazing

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